हर हर महादेव
नरसिंह उवाच
बसई दारापुर की कहानी
अपने पूर्वजों के पाप की सजा अब हर बेटी को चुकानी पड़ेगी।12 मई जब पूरी दिल्ली के हिन्दू राष्ट्रवाद को समर्पित थे,तब दिल्ली के बसई दारापुर गाँव में एक बाप अपनी बेटी को अस्पताल से घर ला रहा था।घर के पास कुछ मुसलमान शिकारी जिनकी किताब ने उन्हें समझा रखा है की काफिर की बेटी तो उनके लिये माले गनीमत है,उन्होंने अपने माल अर्थात काफिर की बेटी को छेड़ दिया।उस अभागी काफिर लड़की का अभागा बाप राजू त्यागी ये जानता ही नहीँ था की जिन्हें वो अपना किरायेदार मानता है,वो कुरआन के मुताबिक किरायेदार नहीँ बल्कि पूरी धरती के मालिक हैं।
2 किरायेदारों जहांगीर खान और मोहम्मद आलम और उनके साथियों ने इलाके के रसूखदार जमीदारो की नाक के नीचे उन्ही के खानदान के राजू त्यागी को चाकू से गोद कर मार डाला।
और उनका पुत्र भी चाकू की मार से घायल गम्भीर अवस्था मे जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है।
ज्ञात रहे घटना दिल्ली के बसई दारा पुर गांव की है जो कि त्यागियों की एकता और बल का गढ़ माना जाता है।
पर उनके गढ़ में सेंध लग चुकी है।
आज राजू त्यागी जी की आत्मा स्वर्ग में अपने पूर्वजों को जा कर अवश्य बताएगी की जो बीज तुम बो आये थे उसका पेड़ बन चुका और हमको फल भी मिलने लगे।
इलाके के बुजुर्ग लोग हैरानी व्यक्त कर रहे थे।
भाई पिछले 40 से में ऐसा पहली बार हुआ है।
पर सच्चाई ये है कि पहली बार हुआ है आखिरी बार नहीं।
बिगुल बज चुका।
तुम भले युद्ध मे इंट्रेस्ड न हो पर युद्ध तो आपकी और बढ़ रहा है।
और हाँ जाते जाते एक बात और जिस गांव में जमीन बाहर के व्यक्ति को जल्दी से बेचने की परंपरा तक नहीं होती वहां मस्जिद के लिए जमीन देने वाला कैसे और किन स्तिथियों में मिल जाता है इसपे मंथन होना चाहिए।
और
दिल्ली के अन्य गांवों को इससे कुछ सबक लेना चाहिए।
बसई वालो ने मादी पुर वालो से सबक लिया होता तो आज ये स्तिथि न होती।
अब आपके गांव की बारी है।
हर हर महादेव जी
14 मई 2019
Tuesday 14 May 2019
बसई दारापुर की कहानी
Saturday 11 May 2019
माँ बगलामुखी जयंती की लाख लाख शुभकामनाये
हर हर महादेव
नरसिंह उवाच
आज विजय और सद्बुद्धि की देवी माँ बगलामुखी की जयंती है।माँ बगलामुखी की जयंती प्रत्येक वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है।माँ बगलामुखी योद्धाओं की माँ हैं।आज तक सनातन धर्म में जितने भी महान योद्धा हुए हैं वो माँ महाकाली या माँ बगलामुखी के ही उपासक रहे हैं।वस्तुतः माँ महाकाली और माँ बगलामुखी एक ही शक्ति के दो स्वरूप हैं।माँ के अन्य अनेक स्वरूप भी हैं।परन्तु अपने शत्रुओं पर विजय की इच्छा रखने वाले कर्मशील धर्मप्रेमी गण सदैव माँ महाकाली या माँ बगलामुखी की शरण लेते हैं और माँ की कृपा से शत्रुओं का विनाश करते हैं।माँ बगलामुखी की पूजा उपासना करने वाले को कभी भी शक्ति,वैभव,धन,यश और संतान की कमी नहीँ होती और माँ बगलामुखी का भक्त कभी भी श्रीविहीन नही हो सकता।माँ बगलामुखी को माँ पीताम्बरा भी कहते हैं।मानव रूप में इस पृथ्वी पर भगवान परशुराम ने सर्वप्रथम माँ पीताम्बरा बगलामुखी की पूजा और वो माँ और महादेव की कृपा से अजेय और चिरंजीवी बने।उन्होंने ही अपने शिष्यों के माध्यम से माँ बगलामुखी को विश्व में पूजित करवाया और उन्होंने ही रावण वध के लिये भगवान श्रीराम को माँ पीताम्बरा बगलामुखी की शरण में जाने का परामर्श दिया और विधि समझाई।जब तक सनातन धर्मी माँ और महादेव की पूजा करते रहे, और अन्धविश्वास को अपना कर नए नए देवी देवता गढ़ लिये और माँ और महादेव की उपेक्षा कर दी तो माँ और महादेव ने भी उन्हें त्याग दिया और संपूवो विश्व में अजेय और सर्वशक्तिमान बने रहे और जब उन्होंने पाखण्ड र्ण सनातन धर्म दुर्गति को प्राप्त हो गया। पर अभी बहुत देर नहीँ हुई है।माँ और महादेव हमारे माता पिता हैं।जिस दिन हम अपनी गलतियों को स्वीकार करके उनकी शरण के चले जॉएगे,उसी दिन से हम फिर अजेय हो जाएंगे।
अतः एक सन्यासी होने के नाते से मैं यति नरसिंहानन्द सरस्वती आप सभी से अनुरोध करता हूँ की आइये हम सब मिलकर सनातन धर्म की ओर लौट चले।
आइये हम सब मिलकर अपने माँ और महादेव की शरण में चलें।
माँ हम सबको सद्बुद्धि और पुरुषार्थ दें और महादेव हमारे वंश की रक्षा करें।
आप सभी को माँ बगलामुखी जयंती की लाख लाख शुभकामनाये ।
- यति नरसिंहानन्द सरस्वती,
12 मई 2019
Thursday 9 May 2019
"जीवित हिन्दुओ से एक प्रश्न"
नरसिंह वाणी
"जीवित हिन्दुओ से एक प्रश्न"
मैं यति नरसिंहानन्द सरस्वती रोज सोशल मीडिया पर कभी केरल और कभी बंगाल और कभी दिल्ली में हिन्दुओ पर हो रहे अत्याचारों पर बड़ी बड़ी पोस्ट दिखाई देती हैं और ये अच्छी बात है।हमे आवाज उठानी ही चाहिये अपने भाई और बहनों के लिये।हममें से बहुत कम लोग केरल या पश्चिमी बंगाल जा पाते हैं परंतु फिर भी उनके लिये आवाज उठाते हैं, ये वास्तव में बहुत बड़ी बात है।
कल मैं उज्जैन में था । उज्जैन महाकाल मंदिर सनातन धर्म की अमूल्य धरोहर है।शायद ही कोई सनातन धर्मी हो जो महाकाल के दर्शन करने ना गया हो और जो अभी तक कर नहीँ पाया,वो भी जरूर करना चाहता है।कल 8 मई को मुझे भी महाकाल के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ।मैं वहाँ जाकर एक तरह से पागल सा हो गया।पूरा महाकाल मंदिर मुस्लिम आबादी से घिर चूका है।पत्रकारों ने मुझे बताया की अब हर वर्ष वहाँ कांवड़ लाने वालो पर हमला किया जाता है। 15 साल वहाँ हिंदूवादियों की सरकार थी और अब वहाँ घोर मुस्लिम समर्थक सरकार है।किसी हिन्दू धर्मगुरु ने,किसी संत ने,किसी हिन्दू संगठन ने कहीँ कोई विरोध नहीँ किया। हिंदूवाद का अर्थ इस इस या उस पार्टी के हित में काम करना ही हो चूका है।हम अपने अस्तित्व को खोने के कगार पर आ चुके हैं क्योंकि हमें अपने बच्चों और अपने धर्म से नहीँ बल्कि नेताओ की दलाली से प्रेम है।अब परमात्मा हमारी रक्षा क्यों करेंगे?
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