Monday 29 April 2019

कल एक गाँधी था और आजका हर नेता गाँधी है, कल एक जिन्ना था और आज करोड़ो जिन्ना है

🙏🏽🙏🏽🙏🏽 हर हर महादेव 🙏🏽🙏🏽🙏🏽     29 अप्रैल 2019
         नरसिंह उवाच
कल एक गाँधी था,आज हर हिन्दू नेता गाँधी हैं।
कल एक जिन्नाह था,आज करोड़ो जिन्नाह है।
बस गाँधी झूठ बोलता है और जिन्नाह अपने इस्लाम के लिये लड़ता है।

जिन्ना का दोष यही था कि उसने मोमिनों को सीधे क़त्ले आम कर के पाकिस्तान लेने का निर्देश दिया!
वह चाहता तो यह क़त्ले आम रुक सकता था लेकिन उसे मोमिनों की ताक़त दर्शानी थी!
बहुत कठोर पोस्ट है पर जानना जरूरी है #जिन्ना को!
16 अगस्त 1946 से दो दिन पूर्व ही जिन्ना नें "सीधी कार्यवाही" की धमकी दी थी.
गांधीजी को अब भी उम्मीद थी कि जिन्ना सिर्फ बोल रहा है, देश के मोमिन इतने बुरे नहीं कि पाकिस्तान के लिए हिंदुओं का कत्लेआम करने लगेंगे। पर गांधी यहीं अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल कर रहे हैं,
सम्प्रदायों का नशा शराब से भी ज्यादा घातक होता है।
बंगाल और बिहार में मोमिनों की संख्या अधिक है, और लीग की पकड़ भी यहाँ मजबूत है।
बंगाल का मुख्यमंत्री शाहिद सोहरावर्दी जिन्ना का वैचारिक_गुलाम है, जिन्ना का आदेश उसके लिए खुदा का आदेश है।
पूर्वी बंगाल का मोमिन बहुल्य नोआखाली जिला! यहाँ अधिकांश दो ही जाति के लोग हैं, गरीब हिन्दू और मोमिन।
हिंदुओं में पंचानवे फीसदी पिछड़ी जाति के लोग हैं, गुलामी के दिनों में किसी भी तरह पेट पालने वाले।
लगभग सभी जानते हैं कि जिन्ना का डायरेक्ट_एक्शन यहाँ लागू होगा, पर हिन्दुओं में शांति है। आत्मरक्षा की भी कोई तैयारी नहीं। कुछ गाँधी जी के भरोसे बैठे हैं। कुछ को मोमिन अपने भाई लगते हैं, उन्हें भरोसा है कि मोमिन उनका अहित नहीं करेंगे।
सुबह के दस बज रहे हैं, पर सड़क पर नमाजियों की भीड़ अब से ही इकट्ठी हो गयी है। बारह बजते बजते यह भीड़ तीस हजार की हो गयी, सभी हाथों में तलवारें हैं।
मौलाना मोमिनों को बार बार जिन्ना साहब का हुक्म पढ़ कर सुना रहा है- "बिरदराने मोमिन! हिंदुओं पर दस गुनी तेजी से हमला करो…"
मात्र पचास वर्ष पूर्व ही हिन्दू से मोमिन बने इन मोमिनों में घोर साम्प्रदायिक जहर भर दिया गया है, इन्हें अपना पाकिस्तान किसी भी कीमत पर चाहिए।
एक बज गया।
नमाज हो गयी।
अब जिन्ना के #DirectAction का समय है। 
तीस हजार मोमिन सिपाही एक साथ हिन्दू बस्तियों पर हमला शुरू करते हैं। एक ओर से, पूरी तैयारी के साथ, जैसे किसान एक ओर से अपनी फसल काटता है। जबतक एक जगह की फसल पूरी तरह कट नहीं जाती, तबतक आगे नहीं बढ़ता।
जिन्ना की सेना पूरे व्यवस्थित तरीके से काम कर रही है। पुरुष, बूढ़े और बच्चे काटे जा रहे हैं, स्त्रियों-लड़कियों का बलात्कार किया जा रहा है।
हाथ जोड़ कर घिसटता हुआ पीछे बढ़ता कोई बुजुर्ग, और छप से उसकी गर्दन उड़ाती तलवार...
माँ माँ कर रोते छोटे छोटे बच्चे, और उनकी गर्दन उड़ा कर मुस्कुरा उठती तलवारें...
अपने हाथों से शरीर को ढंकने का असफल प्रयास करती बिलखती हुई एक स्त्री, और राक्षसी अट्टहास करते बीस बीस मोमिन... उन्हें याद नहीं कि वे मनुष्य भी हैं। उन्हें सिर्फ जिन्ना याद है, उन्हें बस पाकिस्तान याद है।
शाम हो आई है। एक ही दिन में लगभग 15000 हिन्दू काट दिए गए हैं, और लगभग दस हजार स्त्रियों का बलात्कार हुआ है।
जिन्ना खुश है, उसके "डायरेक्ट एक्शन" की सफल शुरुआत हुई है।
अगला दिन, सत्रह अगस्त…
मटियाबुर्ज का केसोराम कॉटन मिल!
जिन्ना की विजयी सेना आज यहाँ हाथ लगाती है। मिल के मजदूर और आस पास के स्थान के दरिद्र हिन्दू....
आज सुबह से ही तलवारें निकली हैं। उत्साह कल से ज्यादा है। मिल के ग्यारह सौ मजदूरों, जिनमें तीन सौ उड़िया हैं को ग्यारह बजे के पहले ही पूरी तरह काट डाला गया है। मोहम्मद अली जिन्ना जिन्दाबाद के नारों से गगन गूंज रहा है...
पड़ोस के इलाके में बाद में काम लगाया जाएगा, अभी मजदूरों की स्त्रियों के साथ खेलने का समय है।
कलम कांप रही है, नहीं लिख पाऊंगा। बस इतना जानिए, हजार स्त्रियाँ...
अगले एक सप्ताह में रायपुर ,रामगंज ,बेगमपुर, लक्ष्मीपुर …
लगभग एक लाख लाशें गिरी हैं।
तीस हजार स्त्रियों का बलात्कार हुआ है।
जिन्ना ने अपनी ताकत दिखा दी है....
हिन्दू महासभा "निग्रह मोर्चा" बना कर बंगाल में उतरी और सेना भी लगा दी।
कत्लेआम रुक गया .
बंगाल विधानसभा के प्रतिनिधि हारान चौधरी घोष कह रहे हैं,"
यह दंगा नहीं, मोमिनों की एक सुनियोजित कार्यवाही है, एक कत्लेआम है।
गांधी का घमंड टूटा, पर भरम बाकी रहा।
वे वायसराय माउंटबेटन से कहते हैं, "अंग्रेजी शासन की फूट डालो और राज करो की नीति ने ऐसा दिन ला दिया है कि अब लगता है या तो देश रक्त स्नान करे या अंग्रेजी राज चलता रहे"।
सच यही है कि गांधी अब हार गए थे.
जिन्ना जीत गया था।
कत्लेआम कुछ दिन के लिए ठहरा भर था।
या शायद अधिक धार के लिए कुछ दिनों तक रोक दिया गया था.
6 सितम्बर 1946...

गुलाम सरवर हुसैनी लीग का अध्यक्ष बनता है, और सात को   शाहपुर में कत्लेआम दुबारा शुरू…
10 अक्टूबर 1946
कोजागरी लक्ष्मीपूजा के दिन ही कत्लेआम की तैयारी है। नोआखाली के जिला मजिस्ट्रेट M J Roy रिटायरमेंट के दो दिन पूर्व ही जिला छोड़ कर भाग गए हैं। वे जानते हैं कि जिन्ना ने दस अक्टूबर का दिन तय किया है, और वे हिन्दू हैं।
जो लोग भाग सके हैं वे पश्चिम बंगाल ,त्रिपुरा और असम के हिस्सों में भाग गए हैं, जो नहीं भाग पाए उनपर कहर बरसी है। नोआखाली फिर जल उठा है।
लगभग दस हजार लोग दो दिनों में काटे गए हैं। इस बार नियम बदल गए हैं। पुरुषों के सामने उनकी स्त्रियों का बलात्कार हो रहा है, फिर पुरुषों और बच्चों को काट दिया जाता है। अब वह बलत्कृता स्त्री उसी राक्षस की हुई जिसने उसके पति और बच्चों को काटा है।
एक लाख हिन्दू बंधक बनाए गए हैं। उनके लिए मुक्ति का मार्ग निर्धारित है, "गोमांस खा कर मोमिन बनो और जान बचा लो"।
एक सप्ताह में लगभग पचास हजार हिंदुओं का धर्म परिवर्तन हुआ है।
जिन्ना का "डायरेक्ट एक्शन" सफल हुआ है, नेहरू और पटेल मन ही मन भारत विभाजन को स्वीकार कर चुके हैं।
आजादी के बहत्तर साल बाद…

आज हजारो गाँधी है और हजारो जिन्नाह हैं।
कमजोर गाँधी कल भी हिन्दुओ का मुर्ख बना रहे थे और कमजोर गाँधी आज भी हिन्दुओ का मुर्ख बना रहे हैं।

हिन्दुओ के खून से सराबोर जिन्नाह कल भी इस्लाम के लिये लड़ रहा था और आज भी इस्लाम के लिये लड़ रहा है।

Sunday 28 April 2019

नरसिंह वाणी "सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता

     
!! हर हर महादेव  !!

  नरसिंह वाणी "सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता "


इनाम रुपये 1 लाख तक...

Sponsored BY Narsingh Vani


आज्ञा से...  - यति नरसिंहानन्द सरस्वती
 शिवशक्ति धाम डासना जिला गाज़ियाबाद की तरफ से सभी सनातन धर्म के मानने वालों के लिये सामान्य ज्ञान की एक प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है।इसके लिये सभी प्रतियोगियों को नीचे दी हुई कहानी को ध्यान से पढ़ना है और इस कहानी के बाद पूछे गए कुछ प्रश्नों के उत्तर YouTube चैनल "Narsingh vani" और "नरसिंह वाणी'' Facebook Page पर इस कहानी के कमेंट बॉक्स में देने हैं । यह प्रतियोगिता आज 28 / 04 / 2019 से ही आरम्भ है । सही जवाब देने वाले प्रथम सौ विजेताओं का शिवशक्ति धाम डासना में भव्य अभिनन्दन किया जायेगा और उन्हें पुरुस्कार स्वरुप एक हजार रुपया और प्रामाणिक सनातन धर्म ग्रन्थों का एक सेट प्रदान किया जायेगा । सभी सनातन धर्म के मानने वालों से अनुरोध है की इस प्रतियोगिता में अवश्य भाग लें व अपने उत्तर के साथ अपना मोबाइल नं - [ +91- ■■■  ] व पता भी भेजें ....

                              कहानी

एक ज्ञानी,परोपकारी,मानवता प्रेमी और पुरुषार्थी जनसमुदाय ने धर्म के शाश्वत सिद्धान्त तय किये औऱ सारे विश्व में अपने पराक्रम औऱ पुरुषार्थ से विश्वगुरु के रूप ने विज्ञान, ज्ञान और धर्म का प्रचार प्रसार किया । उन्होंने अपने वंशजो के लिये अभूतपूर्व गौरवशाली विरासत छोड़ी।परन्तु उनके ये वंशज अपने पूर्वजों जितने पराक्रमी और पुरुषार्थी नहीँ निकले और यह जनसमुदाय धीरे धीरे अपने गौरव को खोने लगा।एक समय ऐसा आया की कातिलों की एक फ़ौज ने जनसमुदाय के करोड़ो लोगो का कत्ल कर दिया और जनसमुदाय से उसकी धरती का बहुत बड़ा भाग छीन लिया। यह जनसमुदाय ने अपना सारा प्रभुत्व खोकर एक छोटे से किले में सिमट गया।कातिलों की फ़ौज ने उस किले को चारों तरफ से घेर लिया है।किले के सबसे पहले रक्षक जिन्हें कातिलों से लड़ने के लिये नियुक्त किया गया था वो कातिलों की फ़ौज से मिल गए है और उन्होंने सद्भावना और मानवता के नाम पर कातिलों को बड़ी संख्या में किले में बसा लिया है।अब किले के अंदर बसे हुए कातिल सब काम छोड़कर रात दिन ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर लगे हुए हैं ताकी किले पर अंदर से ही कब्जा करके जनसमुदाय को समाप्त कर दें।कातिलों ने जनसमुदाय के विभिन्न जातियों के प्रभावशाली लोगो में अपने बहुत से मित्र बना लिये हैं जो अपने व्यक्तिगत स्वार्थो के लिये कातिलों को शांतिप्रिय और मानवतावादी घोषित करके उन्हें जनसमुदाय को समाप्त करने में पूरा सहयोग दे रहे हैं लेकिन जनसमुदाय में अभी भी इतनी शक्ति है की वो अगर लड़ने को तैयार हो जाये तो कातिलों की फ़ौज सहित सारे गद्दारो को धूल धूसरित कर सकते हैं।किले में अभी अनन्त काल तक चलने लायक रसद और अन्य सामग्री है।किले में रहने वाले जनसमुदाय ने एक व्यक्ति पर भरोसा करके उसे प्रधानसेवक बना कर किले की सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी दे दी है।प्रधानसेवक को यह जिम्मेदारी जनसमुदाय की रक्षा के लिये बने स्वयंसेवी संगठन और जनसमुदायों के धर्म के आचार्यो के कहने पर दी गयी है।इन सबने जनसमुदाय को यह विश्वास दिलाया है की वो सभी गद्दारो सहित कातिलों की फ़ौज को नष्ट करके जनसमुदाय को उसका प्राचीन गौरव वापस दिलाएंगे।अब समुदाय के धर्माचार्य और धर्मगुरु समुदाय को भरोसा दिला रहे हैं की समुदाय को अपनी पूरी ताकत भगवान का स्मरण,भजन, कीर्तन,रास रंग और मंदिर निर्माण में लगा देनी चाहिये।धर्माचार्य बता रहे हैं की जनसमुदाय को निश्चिन्त होकर भक्ति और प्रेम में सराबोर रहना चाहिये क्योंकि भगवान भगवान भक्ति और प्रेम में ही है और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करता है।जनसमुदाय की रक्षा के लिये बने स्वयंसेवी संगठन ने किले के अंदर रहने वाले कातिलों को प्रेम और अहिंसा सिखाने के लिये प्रचारकों की एक फ़ौज तैयार कर ली है जो प्रचुर मात्रा में धन,साधन और जनसमुदाय की महिलाएं कातिलों को देकर उन्हें अपना दामाद बना रहे हैं और जनसमुदाय को भरोसा दिला रहे हैं की कातिलों के साथ जनसमुदाय पूरी तरह से सुरक्षित है।यदि कातिल नहीँ रहेंगे तो जनसमुदाय का अस्तित्व नहीँ रहेगा।प्रधानसेवक जो स्वयं भी इस महान संगठन का प्रचारक है,वो भी हर तरह से जनसमुदाय के साधनों को छीनकर कातिलों के लिये पक्के मकान बनवा रहा है,कातिलों को पढ़ने और काम करने के लिये बड़ी मात्रा में धन और साधन उपलब्ध करवा रहा है।कातिलों के धर्मगुरूओ ने प्रधानसेवक को समझाया है की कातिलों की गरीबी के कारण ही किले का ठीक से विकास नहीँ हो पा रहा है।उनकी बात मानकर प्रधानसेवक ने अपने संगठन की नीतियों का पालन करते हुए बडी मात्रा में कातिलों को फ़ौज,पुलिस और प्रशासनिक पदों पर भर्ती कर रहा है।जनसमुदाय के ज्यादातर लोग प्रधानसेवक की नीतियों से खुश हैं और उन्हें पूरा विश्वास है की प्रधानसेवक और उनकी रक्षा के लिये बना हुआ संगठन जनसमुदाय को उसका प्राचीन गौरव वापस दिलाकर बहुत जल्दी विश्वगुरु बना देगा। जनसमुदाय के धर्मगुरु और साधारण व्यक्ति अपने प्रधानसेवक से पूरी तरह संतुष्ट हैं।
लेकिन इसी किले में एक नकली धर्मगुरु टाइप का आदमी रहता है जो झगड़ालू, चिड़चिड़ा और घिनौना है।कुछ मुर्ख और अज्ञानी किस्म के लोग जो संख्या में बहुत थोड़े हैं, इस व्यक्ति को अपना गुरु भी मानते है।ये लोग इस व्यक्ति के लिये सदैव मरने मारने पर उतारू रहते हैं।जनसमुदाय के अधिकतर लोग इस व्यक्ति को जिद्दी,अहंकारी,झगड़ालू,दुष्ट और अज्ञानी मानते हैं।पहल यह व्यक्ति जनसमुदाय की रक्षा के लिये के लिये बने स्वयमसेवी संगठन का ही था और प्रधानसेवक को उसके पद तक पहुँचाने में बहुत बड़ा सहायक रहा था।इस व्यक्ति का मानना था की जनसमुदाय को सबसे बड़ा खतरा किले के अंदर बढ़ रही कातिलों की तादात से हैं। अगर कातिल इसी तरह बढ़ते रहे तो एक दिन वो किले पर कब्जा कर लेंगे और जनसमुदाय खत्म हो जायेगा इसीलिये किले के अंदर ऐसा कानून बनाना चाहिये की कातिलों की आबादी नियंत्रित की जा सके।स्वयमसेवी संगठन के सबसे बड़े नेता ने इस व्यक्ति से वादा किया था की यदि प्रधानसेवक को जिम्मेदारी मिली तो सबसे पहला काम यही कानून बनाना ही होगा।इस व्यक्ति ने उनकी बात पर विश्वास करते हुए अपनी पूरी ताकत उनके साथ लगा दी।तब तक तो यह व्यक्ति सही था और लोकप्रिय भी था।इस व्यक्ति ने प्रधानसेवक से पहले किले के सत्ताधीशों से लड़ते हुए 31 बार जेल काटी और सौ से ज्यादा रात हवालात में बिताई। परंतु मूल रूप से यह व्यक्ति विघ्नसंतोषी था।प्रधानसेवक के जिम्मेदारी सँभालते ही इसने संगठन पर दबाब बनाना शुरू कर दिया और जगह जगह जाकर धरना संसद करके धर्मगुरूओ को बरगलाना शुरू कर दिया की प्रधानसेवक ने अगर यह कानून नहीँ बनाया तो बहुत जल्दी जनसमुदाय का अस्तित्व मिट जाएगा।टीवी की हजारो डिबेट में,जगह जगह सभा करके,पदयात्रा करके यह व्यक्ति यही चिल्लाने लगा।इसके जोर जोर से चिल्लाने पर बहुत से लोगो ने इसकी बात को सच समझ लिया और वो भी यही मांग करने लगे।उसका चिल्लाना कातिलों को और जनसमुदाय की रक्षा करने वाले स्वयमसेवी संगठनों को और जनसमुदाय के धर्मगुरूओ को अखरने लगा।उन्होंने एक बहुत बड़ा प्रचार तंत्र इस पाखण्डी को फ़साने और बदनाम करने के लिये लगा दिया। और तो और इस व्यक्ति ने कातिलों के धर्मग्रन्थ को पढ़कर और कातिलों के इतिहास को समझकर जनसमुदाय से यह भी कहना शुरू कर दिया की यह कभी भी जनसमुदाय को जीवित नहीँ छोड़ेंगे।उसके इस अनर्गल प्रलाप को सुनकर जनसमुदाय का रक्षक संगठन और प्रधानसेवक के अनुयायी तिलमिला गये और उन्होंने इस व्यक्ति को विक्षिप्त और गद्दार घोषित कर दिया।परन्तु यह व्यक्ति इतने पर ही नहीँ रुका। इसने जनसमुदाय की धार्मिक मान्यताओं पर भी कुठाराघात करते हुए धर्म की अलग व्याख्या करनी आरम्भ कर दी।इसने कहा की भगवान धर्म के लिये लड़ने और मर मिटने वालो की रक्षा करते हैं न की धर्म के नाम पर रोने वालो की,गाने वालो की और रास रचाने वालो की।इसने कहा कि जनसमुदाय के पूर्वज अपने पराक्रम और पुरुषार्थ के कारण विश्वगुरु बने ना की ढोंग और अहिंसा के कारण।इस हिंसक व्यक्ति का कहना है की जनसमुदाय गाँधी की नीतियों पर चलकर नहीं बल्कि श्रीराम,कृष्ण और परशुराम की शत्रुहन्ता नीतियों पर चलकर ही महान और विश्वगुरु बन सकता है।इस व्यक्ति ने प्रधानसेवक और महान संगठन की नीतियों पर प्रश्नचिन्ह लगाने का कार्य करते हुए किले की शांति को अभूतपूर्व हानि पहुँचाई।कातिलों को इस व्यक्ति से बहुत घृणा है और वो किसी भी कीमत पर इसको कत्ल करना चाहते हैं।जनसमुदाय के बहुत से धर्मगुरु भी इस व्यक्ति को धर्म के लिये खतरा मानते हैं।प्रधानसेवक के समर्थकों ने इसको जनसमुदाय से अलग थलग करने का पूरा अभियान चला रखा है।परंतु यह व्यक्ति किसी भी बात से विचलित न होकर किले में अशांति फैला रहा है।


अब आपके प्रश्न शुरू होते है :-

1.इस कथा में किस जनसमुदाय की बात हो रही है ?

2.इस कथा में जो किला है,उसका वास्तविक नाम क्या है ?

3.इस कथा में किन कातिलों की बात हो रही है ?

4.वो लोग वास्तव में कौन हैं जिन्होंने कातिलों को किले में जगह दी ?

5.वो लोग वास्तव में कौन हैं जो अपनी अपनी जातियो के नेता बन कर कातिलों से मिल गए ?

6.इस कथा में जिस स्वयमसेवी संगठन का जिक्र है,उसका असली नाम क्या है ?

7.प्रधानसेवक का असली नाम क्या है?8.प्रधानसेवक और संगठन कितने दिनों में जनसमुदाय को विश्वगुरु बना देंगे ?

9.प्रधानसेवक और संगठन कितनी बहन बेटियो को कातिलों को देकर उन्हें अहिंसक बना देंगे ।

10.प्रधानसेवक कितना धन,साधन,नौकरी,घर और शक्ति देकर कातिलों को अहिंसक बना देंगे ?

11.इस कहानी के खलनायक का असली नाम क्या है ?

12.यह व्यक्ति किस कारण से किले की शांति व्यवस्था को बर्बाद करने पर तुला है ?

13.किसके कहने पर यह व्यक्ति जनसमुदाय की धार्मिक मान्यताओं पर कुठाराघात कर रहा है ?

14.किले की शांति और जनसमुदाय की कातिलों से मित्रता के बीच में विघ्न डाल रहे इस व्यक्ति की आपके हिसाब से क्या सजा होनी चाहिये ?

15.आपको क्या लगता है की इस व्यक्ति का अंत कातिलों के हाथ से कत्ल होकर होना चाहिये या जेल में सड़ाकर इसे मारना चाहिये ?


....दिनाँक - 28 / April / 2019