Thursday 30 September 2021

                                                                   प्रेस विज्ञप्ति

                                                               30 सितम्बर 2021

3 अक्टूबर को अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि हेतू"तर्पण-एक महाश्राद्ध" का आयोजन

Yati Narsinghanand Saraswati
आज अमर बलिदानी मेजर आशाराम त्यागी सेवा संस्थान के पदाधिकारियों ने अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिंहानंद सरस्वती जी के साथ प्रेस वार्ता को सम्बोधित किया और संस्था के द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रम "तर्पण-एक महाश्राद्ध" के विषय मे जानकारी दी।

अमर बलिदानी मेजर आशाराम त्यागी सेवा संस्थान प्रत्येक वर्ष यह कार्यक्रम पिछले 1300 वर्षों में राष्ट्र और धर्म की रक्षा में बलिदान हुए करोड़ो ज्ञात
अज्ञात सनातनियों को श्रद्धांजलि देने के किये श्राद्ध पक्ष के अंतिम रविवार को आयोजित करता है जिसमें देश के कोने कोने से हिंदूवादी कार्यकर्ता और वीर रस के कवि एकत्रित होते हैं और अपने अमर बलिदानियों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।इस वर्ष यह कार्यक्रम रविवार 3 अक्टूबर 2021 को गोविंद पुरम स्थित प्रीतम फार्म में आयोजित किया जा रहा है।

प्रेस वार्ता में संस्था के अध्यक्ष नीरज त्यागी, महामंत्री अक्षय त्यागी,कार्यवाहक अध्यक्ष मुकेश त्यागी, कोषाध्यक्ष संजय बहेङी, पूर्व पार्षद प्रमोद त्यागी उपाध्यक्ष डॉ उदिता त्यागी,विशाल त्यागी, नरेन्द्र त्यागी, लोकेश त्यागी, पंकज त्यागी नीटू त्यागी, अखिल भारतीय त्यागी ब्राह्मण सभा से जिला अध्यक्ष राकेश त्यागी जिला महामंत्री मुकेश त्यागी महानगर अध्यक्ष अजय त्यागी महानगर महामंत्री पुनीत त्यागी, सेवाराम त्यागी आदि उपस्थित रहे ।  

प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए संस्थान के अध्यक्ष नीरज त्यागी जी ने बताया कि मानव जीवन मे इतिहास का बहुत महत्व है।जो कौम अपने इतिहास को भुला देती है,समय उस कौम को मिटा देता है।इतिहास के द्वारा ही हम अपने पूर्वजों के बलिदानों और संघर्षों को समझ पाते हैं और शत्रु मित्र के बोध को जान पाते हैं।जब हम अपने पूर्वजो के बलिदानों और संघर्षों को समझ कर उनको सम्मान देते हैं और उनका महिमामंडन करते हैं तो वस्तुतः हम अपनी नई पीढ़ी को बलिदान और संघर्ष के लिए तैयार कर रहे होते हैं।आज हमारा दुर्भाग्य है कि हमारे यहाँ इतिहास की किताबो में हमारे बलिदानियों को उचित स्थान न देकर विदेशी आक्रमणकारियों को महिमामण्डित किया गया है जिससे हमारे युवा दिग्भ्रमित हो गए हैं और हमारी स्वतंत्रता व अस्तित्व पर ही बन आई है।अपने अमर बलिदानियो को सम्मान देकर युवाओं को बलिदानों का महत्व समझाने और धर्म व राष्ट्र की रक्षा के लिये तैयार करने के लिए ही अमर बलिदानी मेजर आशाराम त्यागी सेवा संस्थान प्रतिवर्ष यह कार्यक्रम आयोजित करता है।

संस्था के महामंत्री अक्षय त्यागी जी ने गाज़ियाबाद की जनता से कार्यक्रम में आने और सहयोग देने की अपील करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम देश के हर कोने में आयोजित होना चाहिए जिससे कि दुनिया को पता लगे कि विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारे साथ कितना घिनौना और अमानवीय व्यवहार किया था और हमारे पूर्वजों ने किस तरह से संघर्ष करते हुए अपना सर्वस्व बलिदान देकर हमारे धर्म, संस्कृति व हमारे अस्तित्व को बचाते हुए अनगिनत लोग परिवार सहित बलिदान हो गए कितने लोगों का तर्पण व श्राद्ध करने वाला भी नहीं रहा । ऐसे में हम सबका कर्तव्य है कि श्राद्ध पक्ष में उन सबका तर्पण व दीपयज्ञ कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करे ।

कार्यक्रम के विषय मे बताते हुए अक्षय त्यागी जी ने बताया कि इस रविवार 3 अक्टूबर को प्रातः 8 बजे से यज्ञ और तर्पण का कार्यक्रम होगा जिसमें हजारों दीपक जलाकर अमर बलिदानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाएंगे और उसके बाद वीर रस का कवि सम्मेलन होगा।

Thursday 2 April 2020

कोरोना वायरस को जिसने इस्लाम का असली चेहरा सारे हिन्दुओ के सामने ला दिया।

🙏🏽🙏🏽🙏🏽 हर हर महादेव 🙏🏽🙏🏽🙏🏽            2 अप्रैल 2020
          नरसिंह उवाच
लाख लाख धन्यवाद है कोरोना वायरस को जिसने इस्लाम का असली चेहरा सारे हिन्दुओ के सामने ला दिया।अच्छी तरह से देख लो हिन्दुओ ये है इस्लाम का असली चेहरा।अगर तुम अब भी नही समझे तो फिर तुम्हारा कुछ नही हो सकता।
ध्यान से देखो की गाज़ियाबाद के CMO ने DM को चिठ्ठी लिखी है कि-आइसोलेशन वार्ड में ये जिहादी नंगे घूम रहे है और नर्सों के साथ अश्लील हरकतें कर रहे है..

ये मरते-मरते भी अपनी कुरानी शिक्षा नही छोड़ रहे है क्योंकि ये मानव नही मुसलमान हैं और तुम्हारी बहन बेटी इनका शिकार हैं।अभी तो ये केवल 30 प्रतिशत हैं।थोड़ा और बढ़ने दीजिये फिर हर औरत को शिकार मानेगे और हर मर्द को कत्ल करेंगे।

Friday 27 March 2020

एक मासूम बेटी की सच्ची कहानी जिसने मेरा जीवन बदल दिया - यति नरसिंहानन्द सरस्वती

एक मासूम बेटी की सच्ची कहानी जिसने मेरा जीवन बदल दिया - यति नरसिंहानन्द सरस्वती


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मैं यति नरसिंहानंद सरस्वती डासना देवी मन्दिर का महंत हूँ।आज आप लोगो को वो कहानी सुनाना चाहता हूँ जिसने मुझे हिन्दू बनाया।

मेरे जैसे लोगो की कहानिया कभी पूरी नहीँ होती क्योंकि जीवन हम जैसो के लिए बहुत क्रूर होता है।मेरी बहुत इच्छा है कुछ किताबे लिखने की पर शायद ये कभी नहीँ हो सकेगा क्योंकि हमारे क्षेत्र के मुसलमानो ने जीवन को एक नर्क में परिवर्तित कर दिया है जिससे निकालने की संभावना केवल मृत्यु में है और किसी में नहीँ है।मैं धन्यवाद देता हूँ सोशल मीडिया को जिसने अपनी बात रखने के लिये मुझ जैसो को एक मंच दिया है और मैं अपने दर्द को आप लोगो तक पहुँचा पाता हूँ।आज मैं आपको अपने जीवन की वो घटना बताना चाहता हूँ जिसने मेरे जीवन को बदल दिया था।ये एक लड़की की दर्दनाक और सच्ची कहानी है जिसने बाद में शायद आत्महत्या कर ली थी।इस घटना ने मेरे जीवन पर इतना गहरा प्रभाव डाला की मेरा सब कुछ बदल दिया बल्कि मैं सच कहू तो मुझे ही बदल दिया।

बात 1997 की है, जब मैं दीपक त्यागी ( मेरे सन्यासी जीवन से पूर्व का नाम ) विदेश "मॉस्को" से इस्टीट्यूट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग से "एमटेक" Mtech की शिक्षा पूरी वापस अपने देश आया था । मैं कुछ बड़ा करना चाहता था और इसके लिये मुझे लगा की मुझे राजनीति करनी चाहिए । मेरा जन्म एक उच्च मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था और मेरे बाबा जी आजादी से पहले बुलंदशहर जिले के कांग्रेस के पदाधिकारी थे और उन बहुत कम लोगों में से थे जिन्होंने पेंशन नहीँ ली आजादी के बाद स्वतंत्रता सेनानी के रूप में।मेरे पिताजी केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों की यूनियन के एक राष्ट्रीय स्तर के नेता थे।मेरा जन्म क्योंकि एक त्यागी परिवार में हुआ तो मुझे बाहुबल की राजनीति पसंद थी और मेरे कुछ जानने वालो ने मुझे समाजवादी पार्टी की युथ ब्रिगेड का जिलाध्यक्ष भी बनवा दिया था।जैसा की राजनीति में सभी करते हैं, मैंने भी अपने बिरादरी के लोगो का एक गुट बनाया और कुछ त्यागी सम्मेलन आयोजित किये।
बहुत से त्यागी मेरे साथ हो गए और मुझे एक युवा नेता के तौर पर पहचाना जाने लगा।बाबा जी कांग्रेसी,पिता यूनियन लीडर और खुद समाजवादी पार्टी का नेता इसका मतलब है की हिंदुत्व के किसी भी विचार से कुछ भी लेना देना नहीँ था मेरा और वैसे भी पूरी जवानी विदेश में रहा और पढ़ा तो धार्मिक बातो को केवल अन्धविश्वास और ढोंग समझता था।मेरठ में रहने के कारण,विदेश में पढ़ने के कारण और अपनी सामजिक व राजनैतिक पृष्ठभूमि के कारण बहुत सारे मुसलमान मेरे दोस्त थे।

एक दिन अचानक मैं बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक,दिल्ली बीजेपी के भीष्म पितामह पूर्व सांसद श्री बैकुंठ लाल शर्मा"प्रेम"जी से मिला जिन्होंने तभी संसद की सदस्यता से इस्तीफा देकर हिंदुत्व जागरण का काम शुरू किया था।उन्होंने मुझे मुसलमानों के अत्याचार की ऐसी ऐसी कहानिया बताई की मेरा दिमाग घूम गया पर मुझे विश्वास नहीँ हुआ।तभी एक घटना मेरे साथ घटी।

मेरा अपना कार्यालय गाज़ियाबाद के शम्भू दयाल डिग्री कॉलेज के सामने था।उसी कॉलेज में पढ़ने वाली मेरी बिरादरी मतलब त्यागी परिवार की लड़की मेरे पास आई और उसने मुझसे कहा की उसे मुझसे कुछ काम है।जब मैंने उससे काम पूछा तो वो बोली की वो मुझे अकेले में बताएगी।मैंने अपने साथ बैठे लोगो को बाहर जाने को कहा।जब सब चले गए तो अचानक वो बच्ची रोने लगी और लगभग आधा घण्टा वो रोती ही रही।मैंने उसे पानी पिलाने की कोशिश की तो उसने पानी भी नहीँ पिया और उठ कर वहाँ से चली गयी।मुझे बहुत आश्चर्य हुआ।मैंने इस तरह किसी अनजान महिला को रोते हुए नहीँ देखा था।उस बच्ची का चेहरा बहुत मासूम का था और मुझे वो बहुत अपनी सी लगी।मुझे ऐसा लगा की कुछ मेरा उसका रिश्ता है।वो चली भी गयी पर मेरे दिमाग में रह गयी।कुछ दिन बाद मैं उसे लगभग भूल गया की अचानक वो फिर आई और उसने मुझसे कहा की वो मुझसे बात करना चाहती है।मैंने फिर अपने साथियों को बाहर भेजा और उसको बात बताने को कहा।उसने बात बताने की कोशिश की परन्तु वो फिर रोने लगी और उसका रोना इतना दारुण था की मुझ जैसे जल्लाद की भी आँखे भर आई,मैंने उसके लिये पानी मंगवाया और चाय मंगवाई।धीरे धीरे वो नॉर्मल हुयी और उसने मुझे बताया की एक साल पहले उसकी दोस्ती उसीकी क्लास की एक मुस्लिम लड़की से हो गयी थी जिसने उसकी दोस्ती एक मुस्लिम लड़के से करा दी।उन दोनों ने मिलकर उसके कुछ फोटो ले लिये थे और पुरे कॉलेज के जितने भी मुस्लिम लड़के थे उन सबके साथ उसको सम्बन्ध बनाने पड़े।अब हालत ये हो गयी थी की वो लोग उसका प्रयोग कॉलेज के प्रोफेसर्स को,अधिकारियो को,नेताओ को और शहर के गुंडों को खुश करने के लिये करते थे और इस तरह की वो अकेली लड़की नही थी बल्कि उसके जैसी पचासों लड़कियां उन लोगो के चंगुल में फसी हुयी थी।इसमें सबसे खास बात ये थी जो उसने मुझसे बताई की सारे मुस्लिम लड़के लड़कियां एकदम मिले हुए थे और बहुत से हिन्दू लड़के भी अपने अपने लालच में उनके साथ थे और सबका शिकार हिन्दू लड़कियां ही थी।मुझे बहुत आश्चर्य हुआ इन बातो को सुनकर।मैंने उससे पूछा की तुम ये बात मुझे क्यों बता रही हो तो उसने मुझसे जो कहा वो मैं कभी भूल नहीँ सकता।
उसने मुझसे कहा की वो सारे मुसलमान हमेशा मेरे साथ दिखाई पड़ते हैं।एक तरफ तो मैं त्यागियों के उत्थान की बात करता हूँ और दूसरी तरफ ऐसे लोगों के साथ रहता हूँ जो इस तरह से बहन बेटियो को बर्बाद कर रहे हैं।उसने कहा की उसकी बर्बादी के जिम्मेदार मेरे जैसे लोग हैं, मुझे ये बात बहुत बुरी लगी।मैंने कहा की मुझे तो इन बातो का पता ही नहीँ है तो उसने कहा की ऐसा नहीँ हो सकता।ये मुसलमान किसी के पास लड़कियां भेजते हैं, किसी को मीट खिलाते हैं और किसी को पैसा देते हैं,मुझे भी कुछ तो मिलता ही होगा।उसकी बातो ने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया था।

उसके आंसू मेरी सहनशक्ति से बाहर हो चुके थे।

उसने मुझसे कहा की मैं यदि सारे त्यागियों को अपना भाई बताता हूँ तो वो इस रिश्ते से मेरी बहन हुयी।उसने मुझसे कहा की एक दिन मेरी भी बेटी होगी और उसे भी डिग्री कॉलेज में जाना पड़ेगा और तब भी मुसलमान भेड़ियों की आँखे मेरी बेटी पर होगी।

मैंने कहा की इसमें हिन्दू मुसलमान की क्या बात है तो उसने कहा की ये भी जिहाद है।मैंने जिहाद शब्द उस दिन पहली बार सुना था।वो बच्ची मुसलमान लड़कियो में रहकर उनको अच्छी तरह समझ चुकी थी।उसने मुझे जिहाद का मतलब बताया।मैंने उस बच्ची का हाथ अपने हाथ में लिया और बहुत मुश्किल से कहा की इतना अन्याय होने के लिये बेटी का होना जरूरी नहीँ है बल्कि मेरी बेटी के साथ ये हो चूका है,आखिर तुम भी तो मेरी बेटी हो।वो बच्ची ये सुनकर बहुत जोर से रोई और धीरे से वहाँ से चली गयी।

वो चली गयी,मैं बैठ गया।मन के अंदर बहुत कुछ मर गया पर मैं अभी जिन्दा था।मन के भीषण संघर्ष ने बहुत कुछ नई भावनाओ को जन्म दिया।मेरा जीवन बदल गया था।मैंने इस पुरे मामले का पता किया।उस बच्ची की एक एक बात सच थी।मुझे प्रेम जी की बाते याद आई और मैंने इस्लाम की किताबो और इतिहास का अध्ययन किया और एक एक चीज को समझा।
मैंने जितना पढ़ा मुझे उस बच्ची की वेदना का उतना ही अहसास हुआ।मैंने लड़ने का फैसला किया और खुद लड़ने का फैसला किया।तभी मुझे पता चला की वो बच्ची मर गयी।वो मर गयी और हो सकता है की उसके माता पिता उसे भूल गए हो पर मेरे लिये वो आज भी जीवित है।वो आज भी मुझे सपनों में दिखाई देती है।आज भी उसकी वेदना,उसकी पीड़ा,उसके आंसू मुझे महसूस होते हैं।आज भी उसकी ये बात की जब तक ये भेड़िये रहेंगे तब तक एक भी हिन्दू की बेटी कॉलेज में सुरक्षित नहीँ रहेगी,मेरे कानों में गूंजती है।

मैंने उसको ठीक उसी तरह से श्रद्धांजलि दी जैसे एक बाप और एक भाई को देनी चाहिये।मैंने वो ही किया जो एक बाप और एक भाई को करना चाहिये।
आज जो कुछ भी हूँ अपनी उसी बेटी के कारण हूँ जिसे मैंने जन्म नही दिया पर जिसने मुझे वास्तव में जन्म दिया।मैं ये बात कभी किसी को नहीँ बताता पर आज ये बात सबकी बतानी जरूरी हो गयी है।

उस बच्ची ने मुझे वो बताया जिसे हिन्दू भूल चूका है,वो ये ही की बेटी किसी आदमी की नहीँ पूरी कौम की होती है और जब कौम कमजोर होती है तो उसका दंड बेटी को भुगतना पड़ता है।कौम की गलती कौम की हर बेटी को भुगतनी ही पड़ेगी।

आज हर हिन्दू की बेटी बर्बादी के उन्ही रास्तों पर चल पड़ी है और कोई भी बाप,कोई भी भाई आज उसे बचा नही पा रहा है।पता नहीँ क्या हो गया है हम सबकी बुद्धि को की विनाश की इतनी बड़ी तैयारी को हम देखना ही नहीँ चाहते हैं।हम सब जानते हैं की हम सब की बेटियो के साथ भी यही होगा पर फिर भी हमारा जमीर जागता नहीँ है।
शायद देवताओ ने हम सबकी बुद्धि को खराब कर दिया है।अब तो शायद भगवान भी हमारे मालिक नहीँ हैं।

आज मैं देखता हूँ की ऐसी घटनाएँ तो हमारे देश में रोज होती है और किसी को कोई फर्क नहीँ पड़ता।यहाँ तक की जिनकी बेटियो और बहनों के साथ ऐसा होता है उन्हें भी कोई फर्क नहीँ पड़ता पर मुझे पड़ा और मैं जानता हूँ की मैंने जो कुछ किया वो बहुत अच्छा किया।मुझे किसी बात का कोई अफ़सोस नहीँ है।मैं जो भी कर सकता था,मैंने किया और जो भी कर सकता हूँ, तब तक करूँगा जब तक जिन्दा हूँ।

दुःख है तो बस इतना है की मैं इस लड़ाई को जीत नहीँ सका।मैं अपनी बहनो को,अपनी बेटियो को इस्लामिक जिहाद के खुनी पंजे से बचा नहीँ सका।दुःख है तो बस इस बात का है की अपनी बेटियो को एक सुरक्षित देश बना कर नहीँ दे सका।दुःख इस बात का भी है की गद्दारो ने पूरी नस्ल को बर्बाद कर दिया और हम उफ़ तक भी नहीँ कर पाये।

वो बच्ची रो तो पायी,मैं तो रो भी नहीँ पाया।

आज हजारो हिन्दू बेटियो की बर्बादियों की कहानी मेरे सीने में दफन है,काश की कोई हिन्दू मेरे जख्मो को देखने का साहस भी करता।काश ये कायर और मुरदार कौम एक बार जाग जाती तो मैं अपने हाथो से अपना सीना चीरकर दिखा देता।काश इस कौम के रहनुमा एक बार कहते की वो बहनो,बेटियो को भेडियो का शिकार नहीँ बनने देंगे।काश ये कौम हिजड़ो को नेता मानना छोड़ कर खुद अपनी बेटियो की रक्षा करती।

काश...................................
बहुत दर्द है और इलाज कुछ दिख नहीँ रहा है,अब तो बस माँ से यही प्रार्थना है की जल्दी से जल्दी मुझे अपने पास बुला ले जिससे की मुझे अपनी बहनो,अपनी बेटियो की दुर्दशा और ज्यादा न देखनी पड़े।

मेरे बच्चों,मेरे शेरो इस वास्तविक घटना में यदि आपको सच्चाई लगे तो इसे दुनिया के हर हिन्दू तक पहुँचा दो SHARE करके । हो सकता है की शायद मेरे दर्द से ही कौम का कोई नया रहनुमा जन्म ले और कौम की बहन बेटियां बच जाएँ ।

- यति नरसिंहानन्द सरस्वती,
- Yati Narsinghanand Sarswati Biography

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Monday 23 March 2020

इस्लाम की शिक्षा "हत्या और बलात्कार"

इस्लाम की शिक्षा "हत्या और बलात्कार"

जिसे लोग पाप और अपराध मानते हैं , मुसलमान उसे रसूल की सुन्नत औ अपना धर्म मानते है .और उनको हर तरह के कुकर्म करने पर शर्म की जगह गर्व होता है ।
मैं सेक्स चाहता हूं और 74 हत्याएं करूंगा..

जर्मनी के कोलोन शहर में एक स्थान पर लिखा मिलता है 'मैं सेक्स चाहता हूं और मैं 74 लोगों की हत्याएं करूंगा।' अपने शब्दों और कर्मों से इस्लामी और गैर-इस्लामी देशों के मुस्लिम यह सोचते हैं कि गैर-इस्लामी महिलाएं 'गंदी और काफिर' होती हैं। ये केवल इसलिए पैदा हुई हैं कि वे मुस्लिमों की यौन वासना को शांत करें ।

अल्लाह के नाम पर इस्लाम का धर्मिक कार्य जिसे जिहाद कहा जाता है उस जिहाद को करने वाले उन मुस्लिमों के बारे में सोचें जो यह मानते हैं कि वे यह सब अल्लाह की खातिर कर रहे हैं । इस्लामिक स्टेट जैसे क्षेत्रों लड़ाकों के कामों और विश्वासों के बारे में जान लें साथ ये विश्व के इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें किस भाँति से इस्लाम की नींव हत्या और बलात्कार और जबरन धर्मान्तरण पर टिकी हुई है ।

इस्लामिक स्टेट की एक सच्ची घटना का उदाहरण इस्लामिक स्टेट के एक स्थान पर एक बारह वर्षीय गैर-मुस्लिम (यजीदी) लड़की से बलात्कार करने से पहले एक लड़ाके ने लड़की को समझाया कि वह जो करने वाला है, वह पाप नहीं है। क्योंकि कुरान में न केवल इस बात की इजाजत दी गई है कि किशोरावस्था से भी कम उम्र की लड़कियों के साथ कोई भी ‍मुस्लिम बलात्कार कर सकता है। उसका कहना था कि कुरान न केवल उसे ऐसे किसी पाप से बचाती है वरन इसके लिए प्रेरित भी करती है। इसके बाद उसने लड़की हाथों को बांध दिया और उसका मुंह बंद कर दिया ।

इसके बाद वह ‍बिस्तर की बगल में नमाज पढ़ने लगा और नमाज पूरी होते ही उसके शरीर को रौंदने लगा। यह लड़की इतनी छोटी थी कि कोई भी वयस्क उसकी कमर को अपने दोनों हाथों में भर सकता था। जब उसका बलात्कार का काम पूरा हो गया वह फिर नमाज पढ़ने लगा। इस बीच लड़की चिल्लाती रही कि उसे बहुत तकलीफ हो रही है, इस काम को रोक दे। लेकिन फिर एक बार अपनी धार्मिक भक्ति करने के बाद फिर उसी काम में लग गया ।

उसने लडकी को समझाया, 'इस्लाम का मानना है कि वह इस्लाम न मानने वाली किसी भी काफिर औरत या लड़की से बलात्कार कर सकता है। उसका कहना था कि वह जितना अधिक उससे बलात्कार करेगा, वह उतना ही अल्लाह के करीब पहुंच जाएगा अल्लाह उसको जन्नत में स्थान देगा ।

इस तरह का व्यवहार केवल कुछ कट्‍टरपंथी जिहादियों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इस्लाम और कुरान में पूर्ण आस्था रखने वाले प्रत्येक मुसलमान का यही मानना है । क्योंकि क़ुरान और इस्लामिक शरीयत ( धार्मिक कानून ) का यह दावा है कि यदि कोई मुसलमान इन बातों को नही मानता अथवा कोई मुसलमान होकर भी अल्लाह के रसूल या नबी की बुराई भी करता है तो वो भी काफिरों की तरह माना जायेगा और एक सच्चे मुसलमान जिसकी आस्था मुहम्मद में है उसका यह धार्मिक कर्तव्य है की वो उन इस्लाम की धार्मिक रिवायतों को ना मानने वाले मुसलमानों के साथ भी काफिरों जैसा व्यवहार करें काफिरों के जैसे ही उनकी भी हत्या व बलात्कार करना जायज होगा क्योंकि इस्लाम का धार्मिक कानून यही है ।
यह बात पूरी तरह से इस्लामी संस्कृति व मान्यताओं के आधार पर 100% प्रतिशत सही है ।

एक अन्य उदाहरण 

शराब पिलाकर किया बलात्कर

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 13 वर्षीय एक हिंदू किशोरी के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म का मामला सामने आया । किशोरी को जबरन शराब पिलाकर दो लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। मीडिया खबरों से यह मामला प्रकाश में आया है । "7 जून 2019 को पाकिस्तान में उस समय हुई जब एक गैरमुस्लिम हिन्दू लड़की कुछ सामान खरीदने जा रही थी । तभी दो मुसलमानों ने उसे पकड़कर उठा ले गये उसको जबरन शराब पिलाया और उसके बाद उस लड़की के साथ बारी-बारी से मुसलमानों ने दुष्कर्म किया । जिसका कारण स्पष्ट है कि सभी गैरइस्लामी महिलाओं पर इस्लाम के धार्मिक कानून के अनुसार मुसलमानों का उनपर हक है और काफिर औरतों से बलात्कार करने पर अल्लाह उन्हें जन्नत में स्थान देगा । 

ऐसी ही एक और घटना

सेक्स से इन्कार किया तो कार चढ़ा दी..

कुछ समय पूर्व ही, पाकिस्तान के लाहौर शहर के बाहरी इलाके में एक घटना हुई जहां तीन ईसाई लड़कियां दिनभर अपना काम करने के बाद घर को लौट रही थीं । उनका चार मुस्लिमों ने पीछा किया । संख्या में ये चार युवक एक कार में सवार थे और इनका आईएसआईएस जैसे किसी संगठन से कोई लेना देना नहीं था । 

उन्होंने लड़कियों के साथ 'बदतमीजी' की, भद्दी और अश्लील बातें' कहीं और लड़कियों को जबर्दस्ती कार में डालने पर आमादा हो गए । उनका कहना था कि वे लड़कियों को मुफ्त में उनके घरों तक पहुंचा देंगे और बस थोड़ा सा मौज-मजा करेंगे । लड़कियों का कहना था कि जब उन्होंने लड़कों के इस 'प्रस्ताव' को नहीं माना और ऐसा करते हुए कहा कि वे धर्मभीरू ईसाई लड़कियां है और शादी से बाहर और विवाह से पहले सेक्स नहीं करती हैं ।

इस पर लड़कों को गुस्सा आ गया और यह चिल्लाते हुए उन्होंने लड़कियों से कहा कि तुम हमसे भागने की जुर्रत कैसे कर सकती हो ? यहां ईसाई लड़कियां केवल एक काम के लिए पैदा हुई हैं और वह मुस्लिम पुरुषों को आनंद देना ।

यह कहकर कार में सवार उन लड़कों ने कार को तेज करते हुए लड़कियों पर चढ़ा दी। इस हमले में एक लड़की की मौत हो गई और दो अन्य बुरी तरह से घायल हो गईं। इसी तरह मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने एक 9 वर्षीय ईसाई लड़की के साथ बलात्कार करने वाले एक मुस्लिम आदमी के बारे में बताया ।

उनका कहना है कि 'ऐसी घटनाएं अक्सर ही होती रहती हैं। ईसाई और हिन्दू लड़कियों को ऐसा सामान समझा जाता है जिनके साथ मनोरंजन के लिए कुछ भी किया जा सकता है। काफिरों की लड़कियों के साथ बलात्कार करना मुस्लिमों का अधिकार माना जाता है। इस मामले में मुस्लिम समुदाय की मान्यता है कि यह कोई अपराध नहीं है। मुस्लिमों का मानना है कि ये लड़कियां लूट का माल हैं।

प्रत्येक इस्लामिक देशों में भी 'गैर-इस्लामी या काफिर' महिलाओं, लड़कियों से बलात्कार एक आम बात है। कुछ समय पहले ही जर्मनी में मुस्लिम 'शरणार्थियों' के एक गुट ने रात के समय एक महिला का पीछा किया, उसे गंदी गालियां दीं और उसके महिला होने पर टीका टिप्पणियां कीं । गुट में से एक आदमी ने कहा कि जर्मन महिलाएं यहां केवल सेक्स करने के लिए हैं। इसके बाद उसने महिला के ब्लाउज और पैंट में हाथ डाले और उसके साथ जबर्दस्ती करने लगा ।  

जर्मनी और पाकिस्तान की हाल की इन घटनाओं में एक बात पूरी तरह समान है - मुस्लिम पुरुष गैर-मुस्लिम औरतों और लड़कियों को केवल यह मानकर प्रताड़ित करते हैं कि यह उनका इस्लामी अधिकार और विशेषाधिकार है । इन वास्तविक घटनाओं में इतना अंतर है कि जर्मन 'काफिर' महिला की जान बच गई, लेकिन पाकिस्तान के 'हिंदू-ईसाई काफिरों' की लड़कियों को 'इस्लामी बलात्कारियों' की हवस मिटाने से इनकार करने पर मौत की सजा दी जाती है। जैसे-जैसे यूरोप में इस्लाम का असर ज्यादा होता जाएगा, गैर-इस्लामी और यूरोपीय देशों में जो थोड़ा बहुत अंतर है, वह भी खत्म होता जाएगा।

ऐसे मामलों का 'तीसरी दुनिया' के देश पाकिस्तान और 'विकसित' जर्मनी में समान असर भी देखा गया है । पाकिस्तान और बंगलादेश जैसे इस्लामिक देशों में हिन्दुओ/ईसाइयों ( गैर-मुस्लिमों ) की महिलाओं औऱ लड़कीयों के साथ बलात्कार करके उनकी हत्या करना एक आम बात हो चुकी है । हर गरीब गैर-इस्लामी लोगो की बस्ती में देखा जाने लगा है कि उस इलाके की सभी लोग भयभीत है और वे रात के समय तो घर से बाहर ही नहीं निकलते हैं और दिन में निकलते हैं तो अपने सभी परिजनों के साथ ।

 
डॉर्टमंड से मिली रिपोर्टों में कहा गया है कि जहां जर्मन महिलाओं को 'केवल रेप के लिए हैं' बताया गया था । वहां अब सरकार की ओर से कहा गया है कि जर्मन महिलाएं रात के समय न निकलें क्योंकि शरणार्थियों द्वारा उन पर हमला किया जा सकता है या उन्हें बलात्कार का शिकार बनाया जा सकता है। 

ऐसे ही भारत के कुछ प्रान्त कश्मीर/बंगाल/उत्तरप्रदेश व अन्य प्रान्तों जहाँ मुसलमान पहले से भारत के धार्मिक विभाजन के बाद भी रहकर अपनी जनसंख्या को तेजी से बढ़ा रहे है वहाँ के साथ ही उन स्थानों पर जहाँ मान्यमार और बांग्लादेशी मुस्लिम शरणार्थियों की जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है उन इलाकों से इस प्रकार के बलात्कार और हत्या की घटनाओं की सूचनाऐ आनी शुरू हो गयी है ।

इस्लाम का जिहाद दुनिया का सबसे घृणित कार्य है । लेकिन इस्लाम में इसे परम पुण्य धार्मिक कार्य बताया गया है जिहाद इस्लाम का अनिवार्य कार्य है और औरतें अल्लाह की नजर में भोग की वस्तु हैं जिसपर सिर्फ और सिर्फ उनका है जो अल्लाह और मुहम्मद को मानते है ।
इस्लाम की शुरुआत से आजतक दुनियाँ की हर एक गैर-मुस्लिम औरत पर मुसलमानों का निशाना है जैसे ही और जहाँ भी मुसलमान बहुसंख्यक हों जायेंगे वहाँ की हर औरत मुसलमानों की शिकार बनेंगी ।

- नरसिंह वाणी

Monday 24 February 2020

बढ़ता हुआ जातीय वैमनस्य और घटता हुआ जनसँख्या अनुपात हिन्दुओ के विनाश का कारण बनेगा - यति नरसिंहानन्द सरस्वती

🙏🏽🙏🏽🙏🏽 हर हर महादेव 🙏🏽🙏🏽🙏🏽            24 फरवरी 2020
                 प्रेस विज्ञप्ति
बढ़ता हुआ जातीय वैमनस्य और घटता हुआ जनसँख्या अनुपात हिन्दुओ के विनाश का कारण बनेगा -यति नरसिंहानन्द सरस्वती
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सनातन धर्म की रक्षा के लिये लुधियाना में होगा 12 मार्च 2020 से होगा 9 दिवसीय माँ बगलामुखी महायज्ञ
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अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिंहानन्द सरस्वती आज हिन्दू स्वाभिमान के राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष बाबा परमेन्द्र आर्य व अपने शिष्य यति सत्यदेवानंद सरस्वती जी और यति सेवानंद सरस्वती जी के साथ सनातन धर्म की रक्षा,सनातन धर्म के मानने वालों की परिवार और संतान सहित रक्षा और सनातन धर्म के शत्रुओ के विनाश की कामना के लिये माँ बगलामुखी के महायज्ञ की तैयारी करने के लिये लुधियाना के दौरे पर आए जहाँ उन्होंने लुधियाना के वरिष्ठ हिंदूवादी कार्यकर्ताओ के साथ बैठक की।
बैठक से पहले लुधियाना के हिन्दूवादी कार्यकर्ताओ ने सभी यति सन्यासियों का भव्य स्वागत और अभिनन्दन किया।
बैठक को सम्बोधित करते हुए यति नरसिंहानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा की बढ़ते हुए जातीय वैमनस्य और घटते हुए जनसँख्या अनुपात ने हिन्दुओ को विनाश की ओर धकेल दिया है।अब ऐसा लगने लगा है की बहुत जल्दी हिन्दू भारतवर्ष में पहले अल्पसंख्यक हो जाएगा और फिर मिट जाएगा।यह देश केवल तभी तक धर्म निरपेक्ष और लोकतांत्रिक है जब तक यहाँ हिन्दू बहुसंख्यक हैं।जिस दिन यह देश मुस्लिम बाहुल्य हो जाएगा,उसके बाद यह देश अन्य सभी धर्मावलम्बियों का काल बन जायेगा जैसा की दुनिया का हर इस्लामिक देश होता है।अगर हिन्दू अपने अस्तित्व की रक्षा चाहते हैं तो उन्हें इस देश को मुस्लिम बाहुल्य होने से रोकना ही पड़ेगा वरना दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जो हिन्दुओ को शरण दे सके।
उन्होंने कहा की हिन्दुओ की इस दुर्दशा का कारण कोई और नहीं बल्कि स्वयं हिन्दुओ की अदूरदर्शिता, कायरता,अकर्मण्यता और कमीनापन है।हिन्दुओ की अपनी मूर्खता के कारण आज हिन्दुओ की संतानों का भविष्य खतरे में पड़ गया है।
उन्होंने लुधियाना की धर्म प्रेमी हिन्दू जनता से सनातन धर्म की रक्षा, सनातन धर्म के मानने वालों की परिवार और संतान सहित रक्षा और सनातन धर्म के शत्रुओ के समूल विनाश के लिये सर्वोच्च आध्यात्मिक शक्ति माँ बगलामुखी का महायज्ञ करने और उन्ही की शरण में चलने का आह्वान किया।
बैठक में अश्वनी शर्मा जी ने लुधियाना  के निवासियों की ओर से यति नरसिंहानन्द सरस्वती जी को 12 मार्च 2020 से लुधियाना में 9 दिवसीय माँ बगलामुखी महायज्ञ आयोजित करने का विश्वास दिलाया जिसके लिये आयोजन समिति बनाई जाएगी।लुधियाना के सभी हिन्दू संगठन इस आयोजन समिति का हिस्सा होंगे और यह आयोजन समिति लुधियाना के आम नागरिकों को इस महान आयोजन से जोड़ने का कार्य करेगी।
इस मौके पर तरुण जैन,राजीव शर्मा,विवेक थापर, सुरेन्द्र कुमार मुरारी, अमरीश मितल, अमन कलसी, पाली सहज पाल, पण्डित मुल्कराज, सुभम आदि उपस्थित रहे।

Friday 14 February 2020

एक सन्यासी का राष्ट्र के गृहमंत्री श्री अमित शाह जी को संदेश

15 फरवरी 2020      
शिवशक्ति धाम डासना 

सेवा में
श्रीमान अमित शाह जी
गृहमंत्री भारत सरकार
विषय:एक सन्यासी का राष्ट्र के गृहमंत्री को संदेश
महोदय,
मुझे नही पता की मेरा यह पत्र आपको मिलेगा या नहीं मिलेगा। आप इस पत्र को पढ़ पाएंगे या नहीं पढ़ पायेंगे।मेरे जैसे लाखो साधु इस देश में हैं और आप इस महान राष्ट्र के यशस्वी महानायक हैं जिसके मजबूत कंधो पर सम्पूर्ण सनातन धर्म और भारत राष्ट्र की रक्षा का भार है।इस कारण से मुझे लगता है की ये लगभग 
असम्भव बात है की मेरा यह पत्र आप तक पहुँचे,फिर भी मैं सनातन धर्म का सन्यासी होने के कर्तव्य को पूरा करने के लिये आपको यह पत्र लिख रहा हूँ।
13 फरवरी 2020 को मैं दिल्ली विधानसभा के भा ज पा की हार को लेकर आपके बयान को सुन रहा था।आपके बयान को सुनकर मेरा दिल बैठ गया क्योंकि आपका बयान बहुत ही निराशाजनक और सच्चाई से परे था।मुझे नहीं लगता की ये आपका बयान हो सकता है।शायद आपके कुछ कायर, कमजोर और सत्तालोलुप साथियों ने आपको भ्रमित करके आपसे यह बयान दिलवाया है।मेरा ऐसा मानने के कुछ ठोस कारण हैं।मेरा जन्म एक काँग्रेस समर्थक परिवार में हुआ था परन्तु मेरे जीवन मे घटित कुछ बहुत ही घृणास्पद घटनाओ ने मुझे एक जागरूक हिन्दू बनाया और मैं हिन्दू संगठनों की ओर मुड़ा और बहुत निराश हुआ।मैं लगभग 20 साल तक संघ परिवार के विभिन्न संगठनों से जुड़ा रहा।संघ परिवार को बहुत नजदीक से देखने के बाद मेरी ये धारणा बनी की संघ परिवार मेरे गुरु जी परम आदरणीय स्वर्गीय बैकुंठ लाल शर्मा"प्रेम सिंह शेर" जी(पूर्व सांसद),परम आदरणीय स्वर्गीय श्री बी पी सिंघल(पूर्व राज्यसभा सांसद) तथा अन्य कुछ अति महत्वपूर्ण अपवादों को छोड़कर 
सत्तालोलुप लोगो की एक ऐसी जमात है जो केवल हिंदुत्व के नाम पर हिन्दुओ का शोषण करना जानती है और करती हिन्दुओ के लिये कुछ भी नहीं है।स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल और वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का प्रथम पांच वर्षो के कार्यकाल ने मेरी इस धारणा को हर तरह से मजबूत किया।अपनी इस धारणा के बाद भी मैंने अपने जीवन मे एक बार के अलावा कभी भी भा ज पा को छोड़कर किसी और को वोट नहीं दिया।एक बार मेरी बहुत मजबूरी थी।मेरे मुस्लिम बाहुल्य कस्बे में नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिये केवल एक हिन्दू खड़ा था,तो मुझे उसे वोट देना पड़ा।वस्तुतः मैं सनातन धर्म के भविष्य को लेकर बिल्कुल निश्चिंत हो चुका था की अब तो हमे मिटना ही है।मुझे आशा की कोई किरण दिखाई नहीं दे रही थी।
लेकिन श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूसरे कार्यकाल में आपके गृहमंत्री बनने के मुझे लगा की कुछ लोग हैं जो सनातन धर्म को बचा लेंगे।मैं आपका बहुत बड़ा प्रशंसक बन गया और आपके कारण मुझे नरेंद्र मोदी जी में भी विश्वास जागृत हुआ।
आज मैं आपसे बस इतना कहना चाहता हूं की योद्धाओ के जीवन मे हार जीत आती रहती हैं।जो इतिहास रचने वाले योद्धा होते हैं, वो किसी हार से विचलित नहीं होते बल्कि हार जाने के बाद आत्ममंथन करके अपनी गलतियों को सुधार कर महान लक्ष्य और विजय की ओर बढ़ते हैं।आप और मोदी जी हमारे वर्तमान के सबसे बड़े योद्धा हैं।क्षण प्रतिक्षण इतिहास आपके प्रत्येक कार्य कलाप पर दृष्टि जमाये हुए है।मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है की किसी भी परिस्थिति में धर्म और धैर्य का परित्याग न करें।
कुछ छोटी छोटी बातो की ओर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूँ।आप 
दिल्ली विधानसभा में इसलिये नहीं हारे हैं की लोगो ने उग्र हिंदुत्व को नकार दिया है।ये तो आपको वो लोग बता रहे हैं जो या तो इस देश की जड़ो से कटे हुए लोग हैं या आपके शत्रु हैं।दिल्ली विधानसभा सहित कई दूसरे राज्यो में आपको हिन्दुओ ने पिछली बार से कम वोट नहीं दिए हैं।इसका अर्थ है की आपका वोट बैंक लगातार बढ़ रहा है।यदि आप शाहीन बाग में इस्लाम के जिहादियो और राष्ट्र के शत्रुओं के प्रति ढुलमुल नीति को छोड़कर कठोर नीति अपनाये होते तो आज स्थिति बिल्कुल भिन्न होती और दिल्ली विधानसभा के भा ज पा की सरकार बनी होती।
भा ज पा की हार में एक विशेष कारण आपकी पार्टी के नेताओ विशेषरूप से जनप्रतिनिधियो का अहंकार और कार्यकर्ताओं से उनकी दूरी भी है।अगर आप वास्तव में इस राष्ट्र के लिये कुछ ठोस करना चाहते हैं तो आपको इस ओर बहुत ध्यान देना पड़ेगा।  
आपकी पार्टी की दिल्ली में दुर्गति का एक सबसे बड़ा कारण राजधानी में बढ़ता हुआ हिन्दू उत्पीड़न और उस पर आपकी पार्टी के नेताओं और संघ परिवार का शर्मनाक मौन है।आपकी पार्टी कभी भी अपने मतदाताओ और समर्थकों के सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिये कभी कुछ भी नही करती जबकी आपकी विरोधी पार्टिया 
अपने मतदाताओ और समर्थको के लिये हर परिस्थितियों में साथ खड़ी रहती हैं।मैं आज तक ये कभी नही समझ पाया की जब अन्य पार्टिया इस्लाम के जिहादियो,आतंकवादियों, देशद्रोहियो तक के साथ गर्व से खड़ी हो सकती हैं तो आप और आपके नेता देशभक्तो,राष्ट्रवादियो और कट्टर हिन्दुओ के साथ क्यो नही खड़ी हो सकती।आपकी इस कमी से भी आपके समर्थको का एक बड़ा वर्ग अब उदासीन होता जा रहा है जिसका लाभ हमारे शत्रुओ को हो रहा है।आपसे निवेदन है की इस ओर ध्यान देने की कृपा करें क्योंकि राष्ट्र रक्षा और पुनर्निर्माण जैसे बड़े और महान लक्ष्य स्थायी साथियो के बिना कभी भी प्राप्त नहीं किये जा सकते।आपसे अनुरोध है की विस्तार जरूर करिये परन्तु अपनी जड़ों अर्थात अपने आधारभूत समर्थको और साथियो से जुड़े रहिये।आपको यह समझना ही पड़ेगा की केवल और केवल हिन्दू ही आपका आधार है और हिन्दुओ के विरोधी कभी भी किसी भी कीमत पर आपका साथ नहीं देंगे।
अंत मे बस एक बात और,अपनी पार्टी की असफलता और हार के लिये कभी भी हिंदूवादी नेताओ और उनके बयानों को मत जिम्मेदार ठहराइये क्योंकि यही लोग जनता में आपकी पार्टी की विश्वसनीयता के रक्षक हैं वरना तो इस समय समस्त हिन्दू समाज का मनोबल रसातल पर है।
देवाधिदेव भगवान महादेव शिव और जगद्जननी माँ जगदम्बा से प्रार्थना करता हूँ की वो मोदी जी पर और आप पर सदैव अपनी कृपा बनाये रखें और आप दोनों का यश युग युगान्तर तक गाया जाता रहे परन्तु इसके लिये आप दोनों को सभी तरह के संशय का त्याग करके सभी सनातन धर्म और भारत राष्ट्र के शत्रुओ से निर्णायक युद्ध करना ही पड़ेगा।
कुछ और बाते हैं पर वो फिर कभी।
                        आपका शुभचिंतक
यति नरसिंहानन्द सरस्वती
शिवशक्ति धाम,डासना जिला गाज़ियाबाद

Tuesday 14 May 2019

बसई दारापुर की कहानी

                हर हर महादेव
                नरसिंह उवाच
           बसई दारापुर की कहानी
अपने पूर्वजों के पाप की सजा अब हर बेटी को चुकानी पड़ेगी।12 मई जब पूरी दिल्ली के हिन्दू राष्ट्रवाद को समर्पित थे,तब दिल्ली के बसई दारापुर गाँव में एक बाप अपनी बेटी को अस्पताल से घर ला रहा था।घर के पास कुछ मुसलमान शिकारी जिनकी किताब ने उन्हें समझा रखा है की काफिर की बेटी तो उनके लिये माले गनीमत है,उन्होंने अपने माल अर्थात काफिर की बेटी को छेड़ दिया।उस अभागी काफिर लड़की का अभागा बाप राजू त्यागी ये जानता ही नहीँ था की जिन्हें वो अपना किरायेदार मानता है,वो कुरआन के मुताबिक किरायेदार नहीँ बल्कि पूरी धरती के मालिक हैं।
2 किरायेदारों जहांगीर खान और मोहम्मद आलम और उनके साथियों ने इलाके के रसूखदार जमीदारो की नाक के नीचे उन्ही के खानदान के राजू त्यागी को चाकू से गोद कर मार डाला।
और उनका पुत्र भी चाकू की मार से घायल गम्भीर अवस्था मे जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है।
ज्ञात रहे घटना दिल्ली के बसई दारा पुर गांव की है जो कि त्यागियों की एकता और बल का गढ़ माना जाता है।
पर उनके गढ़ में सेंध लग चुकी है।
आज राजू त्यागी जी की आत्मा स्वर्ग में अपने पूर्वजों को जा कर अवश्य बताएगी की जो बीज तुम बो आये थे उसका पेड़ बन चुका और हमको फल भी मिलने लगे।
इलाके के बुजुर्ग लोग हैरानी व्यक्त कर रहे थे।
भाई पिछले 40 से में ऐसा पहली बार हुआ है।
पर सच्चाई ये है कि पहली बार हुआ है आखिरी बार नहीं।
बिगुल बज चुका।
तुम भले युद्ध मे इंट्रेस्ड न हो पर युद्ध तो आपकी और बढ़ रहा है।
और हाँ जाते जाते एक बात और जिस गांव में जमीन बाहर के व्यक्ति को जल्दी से बेचने की परंपरा तक नहीं होती वहां मस्जिद के लिए जमीन देने वाला कैसे और किन स्तिथियों में मिल जाता है इसपे मंथन होना चाहिए।
और
दिल्ली के अन्य गांवों को इससे कुछ सबक लेना चाहिए।
बसई वालो ने मादी पुर वालो से सबक लिया होता तो आज ये स्तिथि न होती।
अब आपके गांव की बारी है।
हर हर महादेव जी
14 मई 2019