Monday 23 March 2020

इस्लाम की शिक्षा "हत्या और बलात्कार"

इस्लाम की शिक्षा "हत्या और बलात्कार"

जिसे लोग पाप और अपराध मानते हैं , मुसलमान उसे रसूल की सुन्नत औ अपना धर्म मानते है .और उनको हर तरह के कुकर्म करने पर शर्म की जगह गर्व होता है ।
मैं सेक्स चाहता हूं और 74 हत्याएं करूंगा..

जर्मनी के कोलोन शहर में एक स्थान पर लिखा मिलता है 'मैं सेक्स चाहता हूं और मैं 74 लोगों की हत्याएं करूंगा।' अपने शब्दों और कर्मों से इस्लामी और गैर-इस्लामी देशों के मुस्लिम यह सोचते हैं कि गैर-इस्लामी महिलाएं 'गंदी और काफिर' होती हैं। ये केवल इसलिए पैदा हुई हैं कि वे मुस्लिमों की यौन वासना को शांत करें ।

अल्लाह के नाम पर इस्लाम का धर्मिक कार्य जिसे जिहाद कहा जाता है उस जिहाद को करने वाले उन मुस्लिमों के बारे में सोचें जो यह मानते हैं कि वे यह सब अल्लाह की खातिर कर रहे हैं । इस्लामिक स्टेट जैसे क्षेत्रों लड़ाकों के कामों और विश्वासों के बारे में जान लें साथ ये विश्व के इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें किस भाँति से इस्लाम की नींव हत्या और बलात्कार और जबरन धर्मान्तरण पर टिकी हुई है ।

इस्लामिक स्टेट की एक सच्ची घटना का उदाहरण इस्लामिक स्टेट के एक स्थान पर एक बारह वर्षीय गैर-मुस्लिम (यजीदी) लड़की से बलात्कार करने से पहले एक लड़ाके ने लड़की को समझाया कि वह जो करने वाला है, वह पाप नहीं है। क्योंकि कुरान में न केवल इस बात की इजाजत दी गई है कि किशोरावस्था से भी कम उम्र की लड़कियों के साथ कोई भी ‍मुस्लिम बलात्कार कर सकता है। उसका कहना था कि कुरान न केवल उसे ऐसे किसी पाप से बचाती है वरन इसके लिए प्रेरित भी करती है। इसके बाद उसने लड़की हाथों को बांध दिया और उसका मुंह बंद कर दिया ।

इसके बाद वह ‍बिस्तर की बगल में नमाज पढ़ने लगा और नमाज पूरी होते ही उसके शरीर को रौंदने लगा। यह लड़की इतनी छोटी थी कि कोई भी वयस्क उसकी कमर को अपने दोनों हाथों में भर सकता था। जब उसका बलात्कार का काम पूरा हो गया वह फिर नमाज पढ़ने लगा। इस बीच लड़की चिल्लाती रही कि उसे बहुत तकलीफ हो रही है, इस काम को रोक दे। लेकिन फिर एक बार अपनी धार्मिक भक्ति करने के बाद फिर उसी काम में लग गया ।

उसने लडकी को समझाया, 'इस्लाम का मानना है कि वह इस्लाम न मानने वाली किसी भी काफिर औरत या लड़की से बलात्कार कर सकता है। उसका कहना था कि वह जितना अधिक उससे बलात्कार करेगा, वह उतना ही अल्लाह के करीब पहुंच जाएगा अल्लाह उसको जन्नत में स्थान देगा ।

इस तरह का व्यवहार केवल कुछ कट्‍टरपंथी जिहादियों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इस्लाम और कुरान में पूर्ण आस्था रखने वाले प्रत्येक मुसलमान का यही मानना है । क्योंकि क़ुरान और इस्लामिक शरीयत ( धार्मिक कानून ) का यह दावा है कि यदि कोई मुसलमान इन बातों को नही मानता अथवा कोई मुसलमान होकर भी अल्लाह के रसूल या नबी की बुराई भी करता है तो वो भी काफिरों की तरह माना जायेगा और एक सच्चे मुसलमान जिसकी आस्था मुहम्मद में है उसका यह धार्मिक कर्तव्य है की वो उन इस्लाम की धार्मिक रिवायतों को ना मानने वाले मुसलमानों के साथ भी काफिरों जैसा व्यवहार करें काफिरों के जैसे ही उनकी भी हत्या व बलात्कार करना जायज होगा क्योंकि इस्लाम का धार्मिक कानून यही है ।
यह बात पूरी तरह से इस्लामी संस्कृति व मान्यताओं के आधार पर 100% प्रतिशत सही है ।

एक अन्य उदाहरण 

शराब पिलाकर किया बलात्कर

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 13 वर्षीय एक हिंदू किशोरी के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म का मामला सामने आया । किशोरी को जबरन शराब पिलाकर दो लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। मीडिया खबरों से यह मामला प्रकाश में आया है । "7 जून 2019 को पाकिस्तान में उस समय हुई जब एक गैरमुस्लिम हिन्दू लड़की कुछ सामान खरीदने जा रही थी । तभी दो मुसलमानों ने उसे पकड़कर उठा ले गये उसको जबरन शराब पिलाया और उसके बाद उस लड़की के साथ बारी-बारी से मुसलमानों ने दुष्कर्म किया । जिसका कारण स्पष्ट है कि सभी गैरइस्लामी महिलाओं पर इस्लाम के धार्मिक कानून के अनुसार मुसलमानों का उनपर हक है और काफिर औरतों से बलात्कार करने पर अल्लाह उन्हें जन्नत में स्थान देगा । 

ऐसी ही एक और घटना

सेक्स से इन्कार किया तो कार चढ़ा दी..

कुछ समय पूर्व ही, पाकिस्तान के लाहौर शहर के बाहरी इलाके में एक घटना हुई जहां तीन ईसाई लड़कियां दिनभर अपना काम करने के बाद घर को लौट रही थीं । उनका चार मुस्लिमों ने पीछा किया । संख्या में ये चार युवक एक कार में सवार थे और इनका आईएसआईएस जैसे किसी संगठन से कोई लेना देना नहीं था । 

उन्होंने लड़कियों के साथ 'बदतमीजी' की, भद्दी और अश्लील बातें' कहीं और लड़कियों को जबर्दस्ती कार में डालने पर आमादा हो गए । उनका कहना था कि वे लड़कियों को मुफ्त में उनके घरों तक पहुंचा देंगे और बस थोड़ा सा मौज-मजा करेंगे । लड़कियों का कहना था कि जब उन्होंने लड़कों के इस 'प्रस्ताव' को नहीं माना और ऐसा करते हुए कहा कि वे धर्मभीरू ईसाई लड़कियां है और शादी से बाहर और विवाह से पहले सेक्स नहीं करती हैं ।

इस पर लड़कों को गुस्सा आ गया और यह चिल्लाते हुए उन्होंने लड़कियों से कहा कि तुम हमसे भागने की जुर्रत कैसे कर सकती हो ? यहां ईसाई लड़कियां केवल एक काम के लिए पैदा हुई हैं और वह मुस्लिम पुरुषों को आनंद देना ।

यह कहकर कार में सवार उन लड़कों ने कार को तेज करते हुए लड़कियों पर चढ़ा दी। इस हमले में एक लड़की की मौत हो गई और दो अन्य बुरी तरह से घायल हो गईं। इसी तरह मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने एक 9 वर्षीय ईसाई लड़की के साथ बलात्कार करने वाले एक मुस्लिम आदमी के बारे में बताया ।

उनका कहना है कि 'ऐसी घटनाएं अक्सर ही होती रहती हैं। ईसाई और हिन्दू लड़कियों को ऐसा सामान समझा जाता है जिनके साथ मनोरंजन के लिए कुछ भी किया जा सकता है। काफिरों की लड़कियों के साथ बलात्कार करना मुस्लिमों का अधिकार माना जाता है। इस मामले में मुस्लिम समुदाय की मान्यता है कि यह कोई अपराध नहीं है। मुस्लिमों का मानना है कि ये लड़कियां लूट का माल हैं।

प्रत्येक इस्लामिक देशों में भी 'गैर-इस्लामी या काफिर' महिलाओं, लड़कियों से बलात्कार एक आम बात है। कुछ समय पहले ही जर्मनी में मुस्लिम 'शरणार्थियों' के एक गुट ने रात के समय एक महिला का पीछा किया, उसे गंदी गालियां दीं और उसके महिला होने पर टीका टिप्पणियां कीं । गुट में से एक आदमी ने कहा कि जर्मन महिलाएं यहां केवल सेक्स करने के लिए हैं। इसके बाद उसने महिला के ब्लाउज और पैंट में हाथ डाले और उसके साथ जबर्दस्ती करने लगा ।  

जर्मनी और पाकिस्तान की हाल की इन घटनाओं में एक बात पूरी तरह समान है - मुस्लिम पुरुष गैर-मुस्लिम औरतों और लड़कियों को केवल यह मानकर प्रताड़ित करते हैं कि यह उनका इस्लामी अधिकार और विशेषाधिकार है । इन वास्तविक घटनाओं में इतना अंतर है कि जर्मन 'काफिर' महिला की जान बच गई, लेकिन पाकिस्तान के 'हिंदू-ईसाई काफिरों' की लड़कियों को 'इस्लामी बलात्कारियों' की हवस मिटाने से इनकार करने पर मौत की सजा दी जाती है। जैसे-जैसे यूरोप में इस्लाम का असर ज्यादा होता जाएगा, गैर-इस्लामी और यूरोपीय देशों में जो थोड़ा बहुत अंतर है, वह भी खत्म होता जाएगा।

ऐसे मामलों का 'तीसरी दुनिया' के देश पाकिस्तान और 'विकसित' जर्मनी में समान असर भी देखा गया है । पाकिस्तान और बंगलादेश जैसे इस्लामिक देशों में हिन्दुओ/ईसाइयों ( गैर-मुस्लिमों ) की महिलाओं औऱ लड़कीयों के साथ बलात्कार करके उनकी हत्या करना एक आम बात हो चुकी है । हर गरीब गैर-इस्लामी लोगो की बस्ती में देखा जाने लगा है कि उस इलाके की सभी लोग भयभीत है और वे रात के समय तो घर से बाहर ही नहीं निकलते हैं और दिन में निकलते हैं तो अपने सभी परिजनों के साथ ।

 
डॉर्टमंड से मिली रिपोर्टों में कहा गया है कि जहां जर्मन महिलाओं को 'केवल रेप के लिए हैं' बताया गया था । वहां अब सरकार की ओर से कहा गया है कि जर्मन महिलाएं रात के समय न निकलें क्योंकि शरणार्थियों द्वारा उन पर हमला किया जा सकता है या उन्हें बलात्कार का शिकार बनाया जा सकता है। 

ऐसे ही भारत के कुछ प्रान्त कश्मीर/बंगाल/उत्तरप्रदेश व अन्य प्रान्तों जहाँ मुसलमान पहले से भारत के धार्मिक विभाजन के बाद भी रहकर अपनी जनसंख्या को तेजी से बढ़ा रहे है वहाँ के साथ ही उन स्थानों पर जहाँ मान्यमार और बांग्लादेशी मुस्लिम शरणार्थियों की जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है उन इलाकों से इस प्रकार के बलात्कार और हत्या की घटनाओं की सूचनाऐ आनी शुरू हो गयी है ।

इस्लाम का जिहाद दुनिया का सबसे घृणित कार्य है । लेकिन इस्लाम में इसे परम पुण्य धार्मिक कार्य बताया गया है जिहाद इस्लाम का अनिवार्य कार्य है और औरतें अल्लाह की नजर में भोग की वस्तु हैं जिसपर सिर्फ और सिर्फ उनका है जो अल्लाह और मुहम्मद को मानते है ।
इस्लाम की शुरुआत से आजतक दुनियाँ की हर एक गैर-मुस्लिम औरत पर मुसलमानों का निशाना है जैसे ही और जहाँ भी मुसलमान बहुसंख्यक हों जायेंगे वहाँ की हर औरत मुसलमानों की शिकार बनेंगी ।

- नरसिंह वाणी

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